भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला ऐसा लिया है, जिसे दुश्मन देश पाकिस्तान हमेशा के लिए याद रखेगा। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। पाकिस्तान के कई आतंकियों को मार गिराया गया। साथ ही भारत ने अपने हवाई हमलों में पाकिस्तान के कई एयरबेस को तबाह कर दिया है। भारत के हमले में पाकिस्तान के रावलपिंडी में स्थित नूर खान एयरबेस को भी भारी नुकसान पहुंचाया गया है। जो कि पाकिस्तानी सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है

भारत के हमले को देख पाक अधिकारियों के उड़े होश

भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पहले की तुलना में कहीं अधिक नुकसान नूर खान एयरबेस को हुआ है। एक ताजा आकलन से पता चलता है कि हमले वाली जगह के पास एक बड़ा परिसर ध्वस्त कर दिया गया है। भारतीय वायुसेना ने नूर खान एयरबेस पर इतना सटीक हमला किया कि पाकिस्तान के अधिकारियों के होश तक उड़ गए।

नूर खान एयरबेस के नुकसान की नई सैटेलाइट इमेज

इंटेल लैब के अनुसार, नूर खान एयरबेस की ताजा सैटेलाइट इमेज में क्षतिग्रस्त हुआ हिस्सा पहले की प्रारंभिक रिपोर्ट से कहीं अधिक है। रक्षा विश्लेषक डेमियन साइमन (Damien Symon) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, 'पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस की समीक्षा से पता चलता है कि भारत के हमले के स्थान के पास का पूरा परिसर अब नष्ट हो चुका है, जिससे पता चलता है कि हमले का प्रभाव दो ट्रकों के बराबर वाली जगह से कहीं अधिक था। नई सैटेलाइट इमेज नूर खान एयरबेस के नुकसान को दिखाती है।

8 से 10 मई के बीच पाक के एयरबेस पर हुए हमले

सैटेलाइट इमेज की प्रारंभिक रिपोर्टों ने संकेत दिया था कि भारत ने 8 से 10 मई के बीच रावलपिंडी स्थित एयरबेस पर बुनियादी ढांचे और जमीनी सहायता प्रणालियों को निशाना बनाकर सटीक हमले किए थे। इस हमले को रणनीतिक और प्रतीकात्मक दोनों रूप से देखा गया, क्योंकि यह बेस पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय के करीब है और हवाई गतिशीलता संचालन के लिए कमांड सेंटर के रूप में कार्य करता है।

पाकिस्तान के लिए काफी महत्वपूर्ण है नूर खान एयरबेस

इस्लामाबाद से 25 किलोमीटर से भी कम दूरी पर रावलपिंडी में स्थित नूर खान एयरबेस पाक सेना के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है। इसमें पाकिस्तान वायु सेना की प्रमुख हथियार और विमान रखे हुए हैं। इनमें साब एरीये एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, सी-130 ट्रांसपोर्टर और आईएल-78 मिड-एयर रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट शामिल हैं। ये सब निगरानी और परिचालन समन्वय के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहां पर तुर्की निर्मित बायरकटर टीबी2 और स्वदेशी शाहपार-आई ड्रोन को रखा गया है। इनका उपयोग टार्गेट की निगरानी अभियानों के लिए किया जाता है।