दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पाकिस्तान को 'कोई परमाणु ब्लैकमेल नहीं' की चेतावनी देने के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर देश के परमाणु हितों से समझौता करने का आरोप लगाया. भाजपा नेता अमित मालवीय ने कांग्रेस को 'राष्ट्रीय सुरक्षा के बजाय अपने नजरिये को प्राथमिकता देने' के लिए आड़े हाथों लिया. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 'कमजोर विदेश नीति और सद्भावना कूटनीति में गलत विश्वास' की आलोचना की, जिसने तीन दशक पहले भारत को असहज स्थिति में डाल दिया था. भाजपा के आईटी सेल के प्रभारी मालवीय ने रविवार को इंटरनेट मीडिया पोस्ट में कहा, 'मजबूत नेतृत्व का मतलब है संप्रभुता की रक्षा करना, न कि कमजोरियों को उजागर करना.'

राजीव गांधी की आलोचना की
उन्होंने कहा, '1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पाकिस्तान की पीएम बेनजीर भुट्टो के साथ ऐसा करार किया, जिसने भारत के परमाणु सिद्धांत से समझौता कर लिया गया.' मालवीय ने पूर्व पीएम राजीव गांधी और भुट्टो की एक तस्वीर साझा करते हुए कहा, 'भारत-पाक परमाणु समझौता (जिसका औपचारिक शीर्षक परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं पर हमले की रोकथाम के लिए समझौता था) 31 दिसंबर, 1988 को हस्ताक्षरित हुआ.'

उन्होंने कहा, 'इस समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान हर साल सभी परमाणु प्रतिष्ठानों की एक सूची का आदान-प्रदान करते हैं. इसका उद्देश्य अचानक हमलों को रोकना और परमाणु जोखिम को कम करना है. यह निर्णय एक कमजोर विदेश नीति और सद्भावना कूटनीति में गलत विश्वास के कारण लिया गया था, जो भारत के रणनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की कीमत पर था.'

'नेट एफडीआई पर अज्ञानता उजागर'
कांग्रेस और भाजपा आर्थिक मुद्दों पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहे, जिसमें कांग्रेस ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में गिरावट का आरोप लगाया और भाजपा ने विपक्षी पार्टी की 'नेट एफडीआई' और 'अज्ञानता' पर हमला किया. कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश ने सरकार पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में कमी का आरोप लगाते हुए इंटरनेट मीडिया एक्स पर लिखा, 'हाल ही में जारी आरबीआई डाटा से पता चलता है कि 2024/25 में भारत में नेट एफडीआई प्रवाह अभूतपूर्व 96 प्रतिशत गिरकर केवल 0.4 बिलियन डॉलर रह गया है.' इस पर भाजपा के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने पलटवार करते हुए कहा, 'आज, विदेशी पूंजी भारत के भविष्य पर दांव लगा रही है. विपक्ष और उनके समर्थकों की 'नेट एफडीआई' पर अटूट पकड़ ना केवल आर्थिक रूप से भ्रामक है. यह या तो अज्ञानता को दर्शाती है या जानबूझकर तथ्यों को विकृत करती है.' मालवीय ने कहा, 'भारत के कुल एफडीआई प्रवाह वित्त वर्ष 25 में 81 बिलियन डॉलर है- जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और पश्चिम में मौद्रिक सख्ती के बावजूद वर्ष दर वर्ष 14 प्रतिशत की वृद्धि पर है.'