गांधीनगर में बोले पीएम मोदी: अगर मानी होती सरदार पटेल की बात, तो नहीं होता पहलगाम अटैक
गुजरात: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात दौरे पर हैं. उन्होंने मंगलवार को गांधी नगर में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद पाकिस्तान की सोची-समझी युद्ध की रणनीति है. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने सरदार पटेल की बात मान ली होती तो 75 सालों से चल रहा आतंकी घटनाओं का सिलसिला रुक जाता. पीएम ने आतंकवाद के साथ-साथ देश के विकास का भी जिक्र किया.
पीएम मोदी के संबोधन की अहम बातें
- 6 मई की रात जो लोग मारे गए, पाकिस्तान में उन जनाजों को स्टेट ऑनर दिया गया. उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, वहां की सेना ने उनको सैल्यूट किया.
- ये सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधि प्रॉक्सी वॉर नहीं है, ये आपकी (पाकिस्तान) सोची-समझी युद्ध की रणनीति है.
- आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा.
- हमने इस बार कैमरे की पूरी व्यवस्था रखी, जिससे कोई सबूत न मांगे.
- 1947 में मां भारती के टुकड़े हुए. कटनी चाहिए थी जंजीरें लेकिन काट दी गईं भुजाएं. देश के तीन टुकड़े कर दिए गए और उसी रात पहला आतंकी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ.
- मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदीनों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया. अगर उसी दिन इन मुजाहिदीनों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की बात मान ली गई होती, तो 75 साल से चला आ रहा ये सिलसिला (आतंकी घटनाओं का) देखने को नहीं मिलता.
- एक बार कल्पना करते हुए अगर हम विकास को जमीन पर उतारने का प्रयास करें, तो कितने अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भलीभांति देख रहे हैं. वही कालखंड था जब हमने रिवर फ्रंट बनाया. वही कालखंड था जब हमने दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, उसे पूरा किया. वही कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, उसे पूरा किया.
- कल 26 मई थी... 2014 में 26 मई को मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला. उस समय, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी.
- हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेलीं, प्राकृतिक आपदा भी झेली इसके बावजूद इतने कम समय में हम 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था से चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बने. क्योंकि हम विकास चाहते हैं, प्रगति चाहते हैं.
- आने वाले दिनों में हमें टूरिज्म पर बल देना चाहिए. गुजरात ने कमाल कर दिया है. कोई सोच सकता है कि कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, आज वहां जाने के लिए बुकिंग नहीं मिल रही है. चीजों को बदला जा सकता है.