झालावाड़ स्कूल हादसे में 7 बच्चों की मौत, मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, 5 टीचर निलंबित

Jhalawar School Building Collapse: राजस्थान के झालावाड़ जिले में मनोहरथाना ब्लॉक के पीपलोदी सरकारी स्कूल में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें क्लासरूम की छत ढहने से 7 बच्चों की मौत हो गई और 28 बच्चे घायल हो गए, जिनमें 9 की हालत गंभीर है। हादसे के समय 7वीं कक्षा के 35 बच्चे क्लासरूम में मौजूद थे, जो भारी बारिश के कारण कमजोर हुई छत के मलबे में दब गए।
5 बच्चों की मौके पर ही मौत
जानकारी के मुताबिक हादसे के दौरान सुबह से हो रही बारिश के कारण प्रार्थना सभा के लिए बच्चों को मैदान में इकट्ठा करने के बजाय क्लासरूम में बैठाया गया था। ग्रामीणों और शिक्षकों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और मलबे से बच्चों को निकालकर मनोहरथाना अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल के अनुसार, 5 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 2 ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
वहीं, 9 गंभीर घायलों को झालावाड़ जिला अस्पताल रेफर किया गया। स्कूल में कुल 7 क्लासरूम थे और हादसे के समय 71 बच्चे मौजूद थे। दो शिक्षक स्कूल में थे, लेकिन वे इमारत के बाहर होने के कारण सुरक्षित रहे।
मानवाधिकार आयोग सख्त, 5 शिक्षक निलंबित
हादसे के बाद शिक्षा विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्कूल की हेडमास्टर मीना गर्ग और शिक्षकों जावेद अहमद, रामविलास लववंशी, कन्हैयालाल सुमन, और बद्रीलाल लोधा को निलंबित कर दिया। दूसरी ओर, राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए झालावाड़ जिला कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा निदेशक, और एसपी को नोटिस जारी कर 7 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।
ग्रामीणों ने जताया विरोध, चौराहा किया जाम
इधर, हादसे के विरोध में पीपलोदी गांव के ग्रामीणों ने मुआवजे और मुख्यमंत्री के दौरे की मांग को लेकर मनोहरथाना-अकलेरा रोड पर बुराड़ी चौराहे को जाम कर दिया। कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि शिक्षा विभाग को जर्जर भवनों में स्कूल न चलाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन यह स्कूल जर्जर सूची में शामिल नहीं था। हैरानी की बात है कि जांच से पहले प्रशासन ने स्कूल की शेष इमारत को जेसीबी से ढहा दिया, जिससे सबूत नष्ट होने की आशंका जताई जा रही है।
देश के बड़े नेताओं ने जताया दुख
बताते चलें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हादसे पर गहरा दुख जताया। राहुल गांधी ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कांग्रेस कार्यकर्ताओं से राहत कार्यों में सहायता करने की अपील की। वहीं, सरकार और प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं और जिम्मेदारों को सजा दी जाए।
इस हादसे ने गंभीर सवाल खड़े किए
कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि शिक्षा विभाग को पहले ही जर्जर भवनों में स्कूल न चलाने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि यह स्कूल जर्जर भवनों की सूची में शामिल नहीं था, न ही यहां छुट्टी घोषित की गई थी। हैरानी की बात यह है कि घटना की जांच से पहले ही प्रशासन ने स्कूल की शेष इमारत को जेसीबी से ढहा दिया, जिससे सबूतों के नष्ट होने की आशंका जताई जा रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में कुल 7 क्लासरूम हैं और हादसे के समय 71 बच्चे स्कूल में मौजूद थे। दो शिक्षक भी मौके पर थे, लेकिन वे उस समय इमारत से बाहर थे और सुरक्षित रहे। इस हादसे ने प्रशासनिक लापरवाही और जर्जर भवनों की मरम्मत में देरी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।